कोई ढूँढ दे वो महफील
जहाँ गूंजे मेरा तराना ....
हम तो गूंजते हैं उस
महफील में
जिसे कहते हैं मैखाना ...
है तो ये बस एक बहाना
हमें तो बस है जाम छलकाना
ना जरूरत है .
ना हसरत है
फिर क्यों है ये पैमाना
निकल जाऊं उस गली में
जिसके लिए छोड़ दिया ज़माना
जहाँ गूंजे मेरा तराना ....
हम तो गूंजते हैं उस
महफील में
जिसे कहते हैं मैखाना ...
है तो ये बस एक बहाना
हमें तो बस है जाम छलकाना
ना जरूरत है .
ना हसरत है
फिर क्यों है ये पैमाना
निकल जाऊं उस गली में
जिसके लिए छोड़ दिया ज़माना
2 comments:
inshaalaaaaa...
bade log badi badi batein kya bat kya bat kya bat :D
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