ज़िन्दगी  से मै जो खफा खफा सा  रहने  लगा
मिला था कोई यहाँ
पर वो भी कहीं खोया -खोया सा रहने लगा
मासूम था मै कभी
पर अपनी मासूमीयत से भी महरूम हो गया
    
  
पास बैठी चिड़िया भी
अब पास ना रह गयी थी
इस नदिया की धारा
भी अब चंचल ना रह गयी थी
बस आस है उस बगीया से
जिसकी कलियाँ मूझे निहार रही थी .........
       
मिला था कोई यहाँ
पर वो भी कहीं खोया -खोया सा रहने लगा
मासूम था मै कभी
पर अपनी मासूमीयत से भी महरूम हो गया
पास बैठी चिड़िया भी
अब पास ना रह गयी थी
इस नदिया की धारा
भी अब चंचल ना रह गयी थी
बस आस है उस बगीया से
जिसकी कलियाँ मूझे निहार रही थी .........
