Total Pageviews(thanx to all my viewers)

Monday, 23 January 2012

काली घटा

सुन ले मेरी ये पुकार ....
है नही ये ललकार ...
कह रही है मेरे .
जीवन की हृद्यताल ..
वक़्त की चाल में फँसा है
यह माँ का लाल .
डरता फिरता हूँ मै 
इस वक़्त से 
वक़्त में छुपे तूफ़ान से
काली घटाओं के आगोश 
में लिपटे ..
आशुओं के समान ..
कठोर बारीश की बूंदों  से,
सुन ले मेरी ये पुकार ....
है नही ये ललकार ...
कह रही है मेरे .
जीवन की हृद्यताल ...
उम्मीद थी मुझे 
उस पूनम की रात से ...
फिर भी तड़प  थी इस बात से ....
की कहीं काली घटा ....
छीन ना ले जाए ...
इस चन्दा को उसकी रात से ....









1 comment:

Anonymous said...

ati sundar