गर ये जो होता ,
तू ..तू ना मेरा होता ,
रहता मै अकेला ,
ये जो ख़ुशी तेरे होंठो पर नृत्य कर रही है...
क्या, है कोई ये नृत्यांगना ?
पर ,
है ये नही सिर्फ तेरा ,
ये तो पिरोई गयीं हैं
तेरे और मेरे साँसों की खुशबुओं की मालाओं से
गर ये जो होता ,
तू ..तू ना मेरा होता ,
तेरा दिल इन खुशबुओं को तरस गया होता
माना मै रहता तन्हा...
माना मै रहता खामोश
हाँ पर नहीं रहता तेरा ये आगोश ....
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