हम उस धुएं में कुछ खोजने को निकले थे
हम उस धुएं में कुछ पढने को निकले थे...
हम उस धुंए में कुछ बनाने को निकले थे..
हम उस धुएं में कुछ कर गुजरने की चाहत को निकले थे.
जब खोजा तो मिला तकदीर
जब पढ़ा तो मिला कुछ ऐसा ......जो कभी पढ़ ना पाया
जब बनाया हुआ देखा ....तब मिला खुदा का बनाया हुआ तकदीर
और उस तकदीर ने
कुछ कर गुजरने की चाहत को उसी धुएं में उड़ा डाला
हम जिस धुएं से ....आस लगाए बैठे थे
उसी के पास जाने से डरने लगे थे.......
1 comment:
grave
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