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Tuesday 10 January 2012

धुंआ

हम उस धुएं में कुछ  खोजने को   निकले थे
 हम उस धुएं में कुछ पढने को  निकले थे...
हम उस धुंए में कुछ बनाने को  निकले थे..
हम उस धुएं में कुछ कर गुजरने की चाहत को निकले थे.
जब खोजा तो मिला तकदीर 
जब पढ़ा तो मिला कुछ ऐसा  ......जो कभी पढ़ ना पाया 
जब बनाया हुआ देखा ....तब मिला खुदा का बनाया हुआ तकदीर
और उस तकदीर ने 
कुछ कर गुजरने की चाहत को उसी धुएं में उड़ा डाला 
हम जिस धुएं से ....आस लगाए बैठे थे 
उसी के पास जाने से डरने लगे थे....... 




1 comment:

Anonymous said...

grave